Yeh Mera India- वह फिल्म जो प्रमुख भारतीय रूढ़ियों को तोड़ती है और हर किसी के लिए ख़ास है – मूवी रिव्यू बाय डिग्पू
YEH MERA INDIA, 2008 की एक हिंदी फिल्म है, जिसे एन. चंद्रा ने लिखा और निर्देशित किया है। यह न केवल एक फिल्म है, बल्कि वास्तविकताओं का एक समायोजन है। फिल्म अच्छे और बुरे दोनों तरह के पहलुओं के मामले में सबसे बड़ा सच दिखाती है। यह एक बहुत अच्छी तरह से लिखी गई स्क्रिप्ट है, जिसमें सराहनीय अभिनय के साथ परस्पर छोटी कहानियों को भी दिखाया गया है।
यह लोगों को पसंद आने के साथ साथ अपने स्वयं को भी कुछ सीखने में मदद करती है। फिल्म में हर किसी के लिए कुछ न कुछ है। यह दिल को छूने वाले दृश्यों से भरपूर है।
फिल्म भारत के जमीनी स्तर की वास्तविकता के बारे में बोलती है।
यह कई सचाइयों को दर्शाती है , जैसे राजनीतिक उद्देश्यों के लिए भावनाओं का शोषण, एक सामान्य भारतीय, मुस्लिम-आतंकवाद की भ्रांति, आपराधिक गतिविधियों के लिए दुराचार एवं विश्वास और कैसे कर्म सभी के जीवन में अपनी भूमिका निभाते हैं। फिल्म को पीयूष मिश्रा के शब्दों से फिल्म की समयरेखा को और भी अधिक गहन और सशक्त बनाया गया है। पीयूष मिश्रा द्वारा हमारे पसंदीदा दोहे में से एक नीचे है:
“आज जब उम्मीद के सारे किनारे पास थे, जिंदगी ने सांस की कश्ती भंवर मे छोड़ दी”
एक सराहनीय विषय और बेहद नैतिकता के साथ पेश की गई लघु कथायें
रजित कपूर एक कॉल सेंटर के सीईओ का किरदार निभाते हैं जो कई लड़कियों के साथ फ्लर्ट करता है और अपनी एक कर्मचारी को परेशान करता है। बाद में, वह अपनी बेटी को इस सब से गुजरने के बारे में सोचकर भी डर जाता है। यह घटना एक बुरे आदमी को अच्छे इंसान में बदल देती है और बाद में वह उसी कर्मचारी को गुंडों से, बिना अपनी जान की परवाह किये बचाता है ।
उपर्युक्त कर्मचारी का किरदार स्माइल सूरी द्वारा निभाया गया है, जो एक राजनेता के बेटे से प्यार करती है | राजनेता जो अपने राजनीतिक लाभ के अनुसार अपने बेटे के जीवन की योजना बनाता है। बाद में पूरब कोहली जो इसमें बेटे का किरदार निभा रहे है अपने जीवन और प्यार के लिए अपने पिता को बेपर्दा कर देता है।
आगे की कहानी में दो दोस्त लंबे समय के बाद मिलते हैं। इनमें से एक सयाजी शिंदे है, जो एक इंस्पेक्टर है जबकि दूसरा अतुल कुलकर्णी है जो एक नक्सली है। वे दोनों सोचते हैं कि जीवन उनकी उम्मीदों के विपरीत कैसे प्रकट हुआ। बाद में नक्सली अपने दोस्त से मिलने के बाद गलत रास्ता छोड़ देता है, इंस्पेक्टर दोस्त उसका पीछा करता है और गंभीर रूप से घायल हो जाता है।
नक्सली की बहन का किरदार सीमा बिस्वास द्वारा निभाया गया है , जो सारिका के घर में नौकरानी है। सारिका की उसके बारे में सोच को जानकर वह चौंक जाती है, इस बीच, राजपाल यादव द्वारा निभाया गया किरदार एक बिहारी मजदूर का है जो रोजगार की तलाश में मुंबई आता है। प्रारंभ में, उसका इंस्पेक्टर द्वारा मजाक उड़ाया जाता है। लेकिन बाद में, राजपाल यादव के प्रयासों से इंस्पेक्टर की जान बच जाती है।
इसके अलावा, एहसान खान द्वारा निभाया गया एक मुस्लिम व्यक्ति का किरदार जो सभी हिंदुओं से नफरत करता है और एक बड़े पैमाने पर उनकी हत्या करने के लिए बम लगाने की योजना बनाता है। हालाँकि, विजय राज़ द्वारा निभाया गया एक अन्य मुसलमान का किरदार, जिसके साथ बचपन से कुछ हिंसक हिंदुओं की डरावनी यादें है, निर्दोष लोगों की जान बचाता है और शहीद हो जाता है।
एक और मुस्लिम व्यक्ति का किरदार प्रवीण डबास द्वारा निभाया गया है, जो एक मेहनती भारतीय है और उन रूढ़ियों का शिकार है जिसका सामना हर जगह मुसलमानों को करना पड़ता है। वह सिर्फ अपने धर्म के कारण पॉश कॉलोनी में फ्लैट खरीद नही पाता। बाद में जब मिलिंद गुनाजी द्वारा निभाए गए अंडरवर्ल्ड डॉन का किरदार उसकी पत्नी को हाथापाई के बाद गोली मार देता है तो वह हिंसक हो जाता है|
साथ ही, सिद्धार्थ कार्णिक जीवन के दैनिक संघर्षों का सामना करने वाले एक मेहनती मुंबईकर की भूमिका निभाते हैं। वह बेबसी की भावना से घिर जाता है। अनुपम खेर एक जज की भूमिका निभा रहे हैं, जो अनावश्यक रूप से सड़क जाम के कारण अस्पताल में भर्ती अपनी बेटी के पास समय पर नहीं पहुँच पाते। वह वीरेंद्र सक्सेना और अश्विन मुशरन के बीच एक मामले को बहुत दिलचस्प तरीके से हल करते हैं |
हमारा मत:
हम फिल्म को 4.5 / 5 दे रहे हैं । फिल्म को वास्तविकता के बहुत करीब लाया गया है । यह दैनिक जीवन के विभिन्न सामाजिक कलंक और पूर्वाग्रहों की जड़ों पर वार करती है। डिग्पू की और से,हम, सब से विनम्र अनुरोध करते हैं कि ऐसी फिल्मों को अधिक दर्शक और सार्वजनिक सराहना दी जानी चाहिए । हम Yeh Mera India की पूरी टीम को हमारी बधाई देते हैं|