केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों के साथ मिलकर गरीबों के लिए अनेक योजनाएँ बनाई हैं।यहाँ सबसे बड़ा सवाल यह है कि भारत सरकार केन्द्र और राज्यस्तर पर COVID-19 राहत कोष को जरूरतमंद ,गरीब लोगों में केसे वितरित करेगी |
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 मार्च को 2020 को मध्य रात्रि से एकाएक लॉक डाउन घोषित कर दिया जिसके चलते देश में एक बड़ा तबका आर्थिक संकट का सामना करने को मजबूर हो गया| इस COVID-19 महामारी ने सभी देशों को भारी आर्थिक संकट में दाल दिया है | हालांकि इसका अभिजात वर्ग और उद्यमी वर्ग पर थोड़ा असर पड़ेगा, लेकिन यह निश्चित रूप से दुनिया भर के मध्यम वर्ग और गरीब लोगों पर कहर बरपाने वाला है।
ये COVID-19 महामारी केंद्र व राज्य सरकार के कर्मचारियों के लिए आशा की किरण लेकर आयी है। सभी कर्मचारियों को उनका वेतन व भत्ते निर्धारित नियमों के आधार पर ही किया मिलेगा। जाहिर है कि ये सभी कर्मचारी अपने रोजमर्रा के खर्चों में भी बचत कर पाएंगे।
यद्यपि COVID – 19 ने हमारे देश के मज़दूर वर्ग को बुरी तरह परेशानी की हालत मे पहुंचा दिया है जिनके लिए केंद्र सरकार व राज्य सरकारों ने अनेक सहायता कार्यक्रमों की घोषणा भी कर दी है। यहाँ सवाल ये उठता है कि सरकार इन परेशान आपदाग्रासत गरीब जरूरतमंदों तक अपनी राहत सामग्री कैसे पहुँचाएँगे जो कोविड़ – 19 राहत कोष से निर्धारित की गयी है।
हाल ही में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने COVID-19 महामारी से परेशान व लॉकडाउन से प्रभावित गरीब मजदूरों को 5000 रुपये ओर 7.5 kg निशुल्क राशन वितरण की घोषणा की है लेकिन सवाल यह है कि किसी भी पंजीकृत डेटा के अभाव मे सरकारें इन जरूरतमंद गरीबों को राहत सामग्री केसे पहुँचायेगी?
मई 2014 में भारत के रिकॉर्ड में गरीबी रेखा से नीचे 179.6 मिलियन लोग थे। अक्टूबर 2015 में, विश्व बैंक ने अंतरराष्ट्रीय गरीबी रेखा को 1.78 डॉलर प्रति दिन से 1.90 डॉलर प्रति दिन (लगभग 143 रुपये प्रतिदिन) तक अपडेट किया। हालांकि जरूरतमंद लोगों के पास अभी भी बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे) कार्ड नहीं है। इनमें से 40 फीसद से अधिक लोगों को बीपीएल कार्ड के लिए आवेदन करने की प्रक्रिया का पता भी नहीं है। इतना ही नहीं 10 फीसद से अधिक दर्ज बीपीएल कार्ड धारक गरीबी रेखा से कहीं ऊपर हैं।
ऐसे संकट की स्थिति में केंद्र सरकार के लिए यह सुनिश्चित करना बड़ी चुनौती होगी कि लोगों को घोषित योजनाओं का लाभ मिले। यह आधिकारिक राज्य सरकार की वेबसाइटों पर सारा डेटा उपलब्ध कराकर और एक समिति तैयार करके भी आसानी से किया जा सकता है जो जरूरतमंद लोगों को आवश्यक वस्तुओं का वितरण सुनिश्चित कर सकती है ।