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फाइनेंस

संशोधनों के बाद अब जीएसटी व्यापारियों के लिए क्यों घातक ? जरा पढ़िए -आप समझ जाएंगे

बीते 4 वर्षों में जीएसटी में करीब 950 संशोधन लाए गए हैं ! कोई भी संशोधन लाने से पहले व्यापारियों से किसी कोई बातचीत नहीं की और न ही जीएसटी को लेकर व्यापारियों की परेशानियों को जानने का कोई प्रयास ही किया ! प्रत्येक दिन एक नया प्रावधान लागू कर दिया जाता है जिसकी पालना करना व्यापारियों के लिए बेहद मुश्किल भरा है ! व्यापारी को अनेक प्रकार के क़ानून का पालन करने वाली मशीन बना दिया है ! वर्तमान में जो जीएसटी का स्वरुप है, यदि उसके विरोध में आज आवाज नहीं उठाई तो अब व्यापार करना बेहद मुश्किल हो जाएगा ! इसलिए जीएसटी के कुछ वर्तमान प्रावधानों को जानना और समझना तथा अपने साथी व्यापारियों को भी बताना बेहद जरूरी है !

क्या आप जानते हैं ?

1 .अगर आपने जीएसटीआर -1 में अपनी लायबिलिटी दिखा दी और जीएसटीआर -3 बी में उसको नहीं लिया तो डिपार्टमेंट बिना नोटिस दिए डिफरेंस अमाउंट की वसूली कर सकता है और यह वसूली आपका बैंक अकाउंट अटैच करके या आपके किसी भी देनदार से डायरेक्ट रिकवर जा सकती है।

2 . अगर आप जीएसटीआर-3 बी दो महीने का फाइल नहीं करते हैं तो आप जीएसटीआर -1 फाइल नहीं कर पाएंगे और अगर जीएसटीआर -1 फाइल नहीं कर पाएंगे तो आपको इनपुट क्रेडिट नहीं मिलेगा !

3 .अगर आप 2 महीने का जीएसटीआर-3 बी फाइल नहीं करते हैं तो आप ई वे बिल नहीं जनरेट कर पाएंगे।

4. अगर आप किसी भी कारण से रिटर्न फ़ाइल नहीं कर पाते हैं तो डिपार्टमेंट सेक्शन 73 के अंदर आप को नोटिस दे सकता है उसमें आपके इलेक्ट्रॉनिक क्रेडिट लेजर में जो क्रेडिट पड़ा है उसका क्रेडिट आपको नहीं मिलेगा बल्कि पूरी देय राशि पर आपको ब्याज देना होगा !

5. अगर आपके जीएसटीआर -1 और जीएसटीआर 3 बी में डिफरेंस पाया जाता है तो डिपार्टमेंट बिना नोटिस या सुनवाई के आपका जीएसटी रजिस्ट्रेशन नंबर सस्पेंड कर सकता है उसी तरह यदि अगर आपके जीएसटीआर-3 बी और जीएसटीआर-2 में अधिक डिफरेंस पाया जाए तो भी आपका नंबर सस्पेंड किया जा सकता है।

6. ई वे बिल की वैलिडिटी प्रतिदिन 200 किलोमीटर कर दी गई है जो की संभव नहीं है।

7. ई वे बिल में अगर कुछ भी गलती हो तो टैक्स के अमाउंट का 200% पेनाल्टी लगाई जाएगी और यह अमाउंट आपको आपके इलेक्ट्रॉनिक कैश लेजर से भुगतान करना पड़ेगा और अगर आप यह अमाउंट नहीं भर पाते हैं तो आपका माल जब्त कर लिया जाएगा ! अगर आपको इस जब्ती के खिलाफ अपील करनी है तो 25 पर्सेंट पेनल्टी भर कर अपील कर सकते हैं पर जब तक अपील पर आपके हक़ में फैसला नहीं आ जाता तब तक माल जब्त रहेगा !

8. 100 करोड़ से ऊपर टर्नओवर वालों को ई -इनवॉइस मैंडेटरी हो गया है अगर वह इनवॉइस नहीं इशू करते तो आपको उसका क्रेडिट नहीं मिलेगा।

9. अगर आप e invoicing की कैटेगरी में आते हैं तो आप को इनवॉइस इश्यू करने के 72 घंटे के अंदर e way bill generate करना होगा नहीं तो आपकी वो इनवॉइस को कैंसल कर दूसरी इनवॉइस बनानी पड़ेगी !

10. यदि आपने गलती से कोई गलत इनपुट क्रेडिट ले लिया है तो आपका बैंक खाता सीज हो जाएगा

11. यदि किसी गलती से आपने अधिक इनपुट क्रेडिट ले लिया है तो आपके लिए पोर्टल लॉक हो जाएगा

12. अधिकारी अपने खुद के विवेक के आधार पर किसी का भी सर्वे या ऑडिट कर सकते हैं

13. एक ही प्रोडक्ट का क्लासिफिकेशन अलग-अलग राज्य में एडवांस रूलिंग के तहत अलग-अलग किया जा रहा है इसके लिए नेशनल एडवांस रूलिंग अथॉरिटी अभी तक गठन नहीं की गई है जिसकी वजह से बहुत परेशानी हो रही है।

14. सरकार खुद तो 950 संशोधन कर चुकी है लेकिन व्यापारियों की कोई सुनवाई नहीं।

15. 4 साल हो गए हैं पर अभी तक अपीलेट ट्रिब्यूनल गठित नहीं हुआ है जिसकी वजह से हर छोटे केस के लिए व्यापारी को हाई कोर्ट जाना पड़ रहा है।

16. जीएसटी के कुछ ऑफिसर देश भर में व्यापारियों को बुरी तरह से प्रताड़ित करते हैं और बिना सुनवाई के व्यापारियों से जबरदस्ती विभाग में ढेर पैसा भरवाते हैं।

17. जीएसटी कंप्लायंस से संबंधित कोई भी बदलाव लाया जाता है तो व्यापार को अपने सॉफ्टवेयर में बदलाव का समय नहीं दिया जाता ना ही उसे बदलाव समझने का मौका दिया जाता है , जिसकी वजह से व्यापारी काम धंधा छोड़ कर जीएसटी के बदलावों को समझने में ही समय गंवाता रहता है।

18. अगर आपकी रिटर्न लेट भरी गई जो और बेशक निल रिटर्न हो तो भी लेट फी लगाई जायेगी ।

19. टैक्स से ज़्यादा लेट फ़ी लगाई जाती है।

20. जब तक जीएसटीआर – 3 बी ना भरा जाए तब तक ब्याज लगता रहता है चाहे क्रेडिट और कैश लेजर में बैलेंस हो तो भी।

ऐसे और कई अनेक प्रावधान हैं जिनका पालन करना लोहे के चने चबाना है ! इनको समझना बेहद आवश्यक है !

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